जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को मधुमेह या यानि शुगर
अथवा डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का
होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में
कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। यह रोग महिलाओं की
अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित
जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है। टाइप 1 प्रकार के मधुमेह का असर इंसान की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम)
पर पड़ता है. यह सीधा शरीर की इंसुलिन फैक्ट्री (बेटा-सेल) पर हमला करता है जिस वजह से हमारा शरीर शुगर की मात्रा नियंत्रित करने के लिए हार्मोन
पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता। टाइप-2 प्रकार के मधुमेह का कारण आमतौर पर गलत जीवनशैली होता है जिसमें शरीर में फैट बढ़ने लगता है और वह
इंसुलिन पर असर दिखाता है। पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार
के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान
है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।मधुमेह एक बार किसी के शरीर को पकड़
ले तो उसे फिर उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण
देती है। आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते मधुमेह बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है। मधुमेह को
धीमी मौत भी कहा जाता है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। मधुमेह के मरीजों
में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा
मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक से होती है। जो व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से पचास गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढने से हार्मोनल बदलाव होता है और कोशिशएं क्षतिग्रस्त होती हैं जिससे खून की नलिकाएं और नसें दोनों प्रभावित होती हैं।
इससे धमनी में रुकावट आ सकती है या हार्ट अटैक हो सकता है। स्ट्रोक का खतरा भी मधुमेह रोगी को बढ़ जाता है। डायबिटीज का लंबे समय तक
इलाज न करने पर यह आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा भी हो सकता है।
मधुमेह के लक्षण -
-जल्दी थकान होना
-वजन कम होना
-ज्यादा प्यास लगना
-बार-बार पेशाब आना
-घाव और चोट ठीक होने में ज्यादा वक्त लगना
-आंखों की रोशनी कम होना
-कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना
-हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म
-बार-बार फोड़े-फुंसियां निकलना
-चक्कर आना
-चिड़चिड़ापन
मधुमेह से बचाव के उपाय-
1. अपने ग्लूकोज़ स्तर को जांचे और भोजन से पहले यह 100 और भोजन के बाद 125 से ज्यादा है तो सतर्क हो जाये हर तीन महीने पर एचबीएवीसी टेस्ट कराते रहें ताकि आपके शरीर में शुगर के वास्तविक स्तर का पता चलता रहे। उसी के अनुरूप आप चिकित्सक से परामर्श कर दवाइयां लें।
2. अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें। जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।
3. कम कैलोरी वाला भोजन खाएं। भोजन में मीठे को बिलकुल खत्म कर दें। सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने भोजन में शामिल कीजिये। इसके अलावा फाइबर का भी सेवन करना चाहिए।
4. दिन में तीन समय खाने की बजाय उतने ही खाने को छह या सात बार में खाएं।
5. धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें।
6. आफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं रखें और रात को पर्याप्त नींद लें। कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करने के लिए आप
ध्यान लगाएं या संगीत आदि सुनें।
7. नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहें और शुगर लेवल को रोजाना मनीटर करें ताकि वह कभी भी लेवल से ज्यादा नहीं हो। एक बार
शुगर बढ़ जाता है तो उसके लेवल को नीचे लाना काफी मुश्किल काम होता है और इस दौरान बढ़ा हुआ शुगर स्तर शरीर के अंगों पर अपना बुरा
प्रभाव छोड़ता रहता है।
8. गेहूं और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें। इस आटे की बनी चपातियां ही भोजन में खाएं।
9. मधुमेह रोगियों को अपने भोजन में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, बंद गोभी
और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
10. फलों में जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती को शामिल करें। आम, केला, सेब,
खजूर तथा अंगूर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें शुगर ज्यादा होता है।
11. मेथी दाना रात को भिगो दें और सुबह प्रतिदिन खाली पेट उसे खाना चाहिए।
12. खाने में बादाम, लहसुन, प्याज, अंकुरित दालें, अंकुरित छिलके वाला चना, सत्तू और बाजरा आदि शामिल करें तथा आलू, चावल और मक्खन का
बहुत कम उपयोग करें।
आयुर्वेद का वरदान है ‘ मधुप्रमेह किट‘
आयुर्वेद में प्रत्येक रोग का जड़ से उपचार संभव है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हमारे ज्ञानवान, तपस्वी ऋषि-मुनि की देन है जिसका हम लोग सदियों से
असाध्य रोगों को दूर करने के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं। आयुर्वेदिक दवाइयों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता
यानि ऐसा नहीं कि जिस रोग के उपचार के लिये हम दवा ले रहे हैं, वह तो ठीक हो जाये, लेकिन इन दवाईयों के विपरीत असर से दूसरा रोग उत्पन्न
हो जाये। मधुमेह यानि शुगर ऐसा रोग है जो बेहद खतरनाक है और आसानी से रोगी का पीछा नहीं छोड़ता। इस जटिल रोग से मुक्ति दिलाने के लिये
एस.बी.एस. हर्बल प्रा. लि. के अनुभवी आयुर्वेदाचायों की टीम ने लंबे समय तक रिसर्च कर मधुप्रमेह किट तैयार की है। इस किट में बहुमूल्य जड़ी-बूटिया
से बनाई गई चार आयुर्वेदिक दवाइयों का समावेश है। ‘मधुप्रमेह किट’ में मधुप्रमेह वटी, मधुप्रमेह ग्रेन्यूअल, नित्तम फ्रेश पाउडर और एसबीएस हर्बल टी
का समावेश है। मधुप्रमेह वटी और मधुप्रमेह ग्रेन्यूअल मधुमेह रोग को ठीक करने में सहायता करते हैं, नित्तम फ्रेश पाउडर शरीर से विषैले पदार्थों को
बाहर निकालता है और वहीं, एसबीएस हर्बल टी एंटीअक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो अन्य बीमारियों से शरीर की रक्षा करती है। इसे पीने से
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानि इम्युनिटी सिस्टम भी मजबूत होता है। इस कंपलीट आयुर्वेदिक पैकेज को नियमित लेने से मधुमेह से मुक्ति मिलती है और
शरीर स्वस्थ रहता है। एस.बी.एस. प्रा. लि. का यहीं उद्देश्य है कि संपूर्ण भारतवासी स्वस्थ रहें, बीमारियों से बचे रहें और भारतवासी निरंतर प्रगति के
पथ पर अग्रसर रहें।
सेवन विधि:
मधुप्रमेह वटी - 1-1 गोली सुबह व शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ ले या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
मधुप्रमेह ग्रेन्यूल्स - आधा आधा चम्मच सुबह शाम खाने के बाद पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
नित्तम फ्रेश पाउडर - 1 चम्मच रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
एसबीएस हर्बल टी - चौथाई चम्मच दिन मे दो बार एक कप पानी में उबालकर छानकर पीयें या चिकित्सक के परामर्शानुसार।