लिवर को हिन्दी में जिगर या यकृत के नाम से जाना जाता है। यह मानवीय शरीर के अंदरूनी अंगों में सबसे विशाल और महत्वपूर्ण अंग है। इसका
भार 1500 ग्राम से 2000 ग्राम तक हो सकता है। यह लाल और भूरे रंग का होता है। हाथ लगाने पर यह रबड़ की तरह महसूस होता है। लिवर
पेट के दाहिने हिस्से की पसलियों के पीछे होता है। लिवर का संबंध सीधे तौर पर पाचन क्रिया से होता है इस जानकारी से तो सभी अवगत है,
लेकिन लिवर का कार्य सिर्फ पाचन क्रिया तक ही सीमित नहीं है। यह शरीर की लगभग 500 क्रियाओं को अपने नियंत्रण में रखता है। ऐसे में अगर
लिवर की सेहत पर जरा भी असर पड़ता है तो हमारे शरीर की कार्यप्रणाली की क्षमता भी नष्ट होने लगती है।
लिवर के रोग ग्रस्त होने के कारण-
-अधिक देर तक बैठने की आदत से लिवर में फैट जमा होने लगता है जिससे लिवर का आकार असामान्य हो जाता है। इसे फैटी लिवर कहते हैं।
इसका मुख्य कारण मोटापा, अधिक धूम्रपान, मधुमेह, शराब का अधिक सेवन, खून में अधिक फैट, अनुवांशिकता, तैलीय पदार्थ का अधिक सेवन,
पेरासिटामोल का अधिक सेवन या किसी भी दवा के दुष्परिणाम हैं।
-लिवर को नुकसान पहुंचने पर यह अपनी मरम्मत करने में स्वयं सक्षम है। मानव शरीर में लिवर एकमात्र ऐसा अंग है जो अपने आप ही स्वयं बन
जाता है। अगर लिवर का चौथाई हिस्सा भी बचा हो और सुचारू रूप से अपना कार्य कर रहा हो तो यह अपने आप ही स्वयं को पूर्ण रूप से बना
लेता है, लेकिन अगर बार-बार लिवर को क्षति पहुंचती है तो इसमें घाव हो जाता है जो ठीक नहीं हो पाता और इस अवस्था को सिरोसिस कहते है।
यह अवस्था लिवर फेल होने का मुख्य कारण बनती है। सिरोसिस जैसी समस्या अधिक शराब के सेवन से होती है।
-हेपेटाइटस लिवर में होने वाला ऐसा संक्रमण है जिससे लिवर में सूजन या जलन पैदा हो जाती है। इनमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई आदि होते
हैं। ये संक्रमण वायरस, गन्दगी, दूषित रक्त चढ़ाने के कारण हो सकते हैं और भी कई संक्रमण होते हैं जिसके कारण भी लिवर को क्षति पहुंच सकती है।
हेपेटाइटिस बी और सी लिवर कैंसर का मुख्य कारण है।
-किसी भी तरह के कैंसर के उपचार में प्रयोग होने वाली दवा से भी लिवर को क्षति पहुंचती है। पेरासिटामोल या एंटीबायोटिक का अधिक इस्तेमाल भी
लिवर को प्रभावित करता है। कुछ विषैले तत्वों के कारण भी जैसे अधिक समय से अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना भी लिवर को नुकसान पहुंचाता है।
- हमारे खाने-पीने से लेकर दवा तक को शरीर में अच्छे से पहुंचाने के काम में लिवर की अहम भूमिका होती है। लिवर एक ऐसा अंग है जो पूरे शरीर
को बांध कर रखता है। इसलिए इसके क्षतिग्रस्त होने या संक्रमित होने की संभावना भी कई गुणा होती है।
लिवर खराब होने के लक्षण-
-शरीर पर तेज खुजली का होना
-गहरे पीले रंग का पेशाब आना
-अधिक समय से असामान्य पीले रंग के दस्त लगना
-टखने, पेट और पैरों में सूजन, पेट में पानी भर जाना
-पेट में ऊपर दाएँ हिस्से में दर्द
-अधिक थकान। जरूरत के समय शरीर को पोषक तत्व, विटामिन या ग्लूकोज का ना मिलने के कारण
-खून का बहना जल्द बंद ना होना
-हेपेटाइटिस की समस्या है तो लीवर में दर्द, उल्टी या घबराहट जैसी समस्या हो सकती है
-सांस में तकलीफ, कमजोरी, अचानक वजन का कम होना जैसी समस्या तब होती है जब लिवर में पर्याप्त प्रोटीन नहीं बनता
-खराब लिवर अमोनिया का निस्तारण नहीं कर पाता जिससे दिमाग असंतुलित हो सकता है
आयुर्वेद का वरदान है ‘लीवोरत्नम किट’
आयुर्वेद में प्रत्येक रोग का जड़ से उपचार संभव है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हमारे ज्ञानवान, तपस्वी ऋषि-मुनि की देन है जिसका
हम लोग सदियों से असाध्य रोगों को दूर करने के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं। आयुर्वेदिक दवाइयों की सबसे बड़ी विशेषता यह है
कि इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता यानि ऐसा नहीं होता कि जिस रोग के उपचार के लिये हम दवा ले रहे हैं, वह तो ठीक हो
जाये, लेकिन इन दवाईयों के विपरीत असर से दूसरा रोग उत्पन्न हो जाये। तनाव रोग से मुक्ति दिलाने के लिये एस.बी.एस. हर्बल प्रा.
लि. के अनुभवी आयुर्वेदाचायों की टीम ने रिसर्च कर लीवोरत्नम किट तैयार की है। इस किट में बहुमूल्य जड़ी-बूटियों से बनाई गई
आयुर्वेदिक दवाइयों का समावेश है। ‘लीवोरत्नम किट’ में लीवोरत्नम वटी, लीवोरत्नम ग्रेन्यूल्स, नित्तम फ्रेश पाउडर और एसबीएस हर्बल
टी का समावेश है।लीवोरत्नम वटी और लीवोरत्नम ग्रेन्यूल्स लिवर को स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं, नित्तम फ्रेश पाउडर शरीर से
विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और वहीं, एसबीएस हर्बल टी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो अन्य बीमारियों से शरीर की
रक्षा करती है। इससे प्रतिरक्षा भी मजबूत होती है। इस कंपलीट आयुर्वेदिक पैकेज को नियमित लेने से लिवर के रोगों से मुक्ति मिलती
है और लिवर स्वस्थ रहता है।
एस.बी.एस. प्रा. लि. का यहीं उद्देश्य है कि संपूर्ण भारतवासी स्वस्थ रहें, बीमारियों से बचे रहें और सभी भारतवासी निरंतर प्रगति के पथ
पर अग्रसर रहें।
सेवन विधि:
लीवोरत्नम वटी - 1-1 गोली सुबह व शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ ले या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
लीवोरत्नम ग्रेन्यूल्स - आधा आधा चम्मच सुबह शाम खाने के बाद पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
नित्तम फ्रेश पाउडर - 1 चम्मच रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
एसबीएस हर्बल टी - चौथाई चम्मच दिन मे दो बार एक कप पानी में उबालकर छानकर पीयें या चिकित्सक के परामर्शानुसार।