शरीर में वैसे तो हर हिस्सा महत्वपूर्ण होता है इसलिए किसी भी अंग के प्रति लापरवाही करना ठीक नहीं पर कुछ ऐसे अंग हैं
जिनमें अगर कमी आई तो न केवल उतने हिस्से में बल्कि पूरे बदन और आपकी सुबह शाम बिगाडने पर उतारू हो जाते हैं जैसे
जॉइंट पेन की ही बात कर लीजिए। शरीर के ऐसे हिस्से जहां हड्डियां मिलती हों, उसे जोड़ कहते हैं। जैसे घुटने कंधे, कोहनी
आदि। इन्हीं जोड़ों में कठोरता सूजन किसी तरह की तकलीफ जो दर्द का कारण बने, जॉइंट पेन या जोड़ों में दर्द कहलाती है।
आपको कमर में अकडन पीठ और जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है, जिसके कारण आप रात में ठीक से सो नहीं पाते हैं।
अगर जोड़ों के दर्द के कारण रात में तीन-चार बजे आपकी नींद खुल जाती है और आप असहज महसूस करते हैं, तो जल्द ही
चिकित्सा करवाइए क्योंकि लंबे समय तक रहने वाला जोड़ों का दर्द खतरनाक साबित हो सकता है। जोड़ शरीर का अहम हिस्सा
होते हैं जिनके कारण उठना. बैठना, चलना, शरीर को मोडना आदि मुमकिन होता है। ऐसे मे जोड़ों में दर्द होने पर पूरे शरीर का
स्वास्थ्य प्रभावित होता है और दर्द के साथ ही मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करवाता है । सर्दी जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है।
इस मौसम में ब्लड अच्छी तरह से संचरित नहीं हो पाता है और शरीर के अगले भागों में खून का बहाव बहुत कम हो जाता है।
यही कारण है कि सर्दी के मौसम में जोड़ों का दर्द ज्यादा परेशान करता है।
जोड़ों में दर्द के लक्षण-
-जोड़ों को मोडने में परेशानी होना
-जोड़ों का लाल होना
-जोड़ों में खिंचाव महसूस होना
-जोड़ों पर कठोरता होना
-चलने-फिरने में दिक्कत होना
-जोड़ों में अकडन आना
-जोड़ों में सूजन और दर्द
-जोड़ों में कमजोरी होना
जॉइंट पेन की मुख्य वजह-
-हड्डियों में रक्त की आपूर्ति में रूकावट आना
-रक्त का कैंसर होना
-हड्डियों में मिनरल यानि की खनिज की कमी होना
-जोड़ों पर बहुत ज्यादा दबाव पडना
-जोड़ों में इंफेक्शन होना
-हड्डियों का टूटना
-मोच आना या चोट लगना
-हड्डियों में ट्यूमर आदि की शिकायत होना
-अर्थराइटिस
-बर्साइटिस
-ऑस्टियोकोंड्राइटि
-कार्टिलेज का फटना
-कार्टिलेज का घिस जाना
-आयुर्वेद का वरदान है ‘संधिमुक्ता किट’-
आयुर्वेद में प्रत्येक रोग का जड़ से उपचार संभव है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हमारे ज्ञानवान, तपस्वी ऋषि-मुनि की देन है
जिसका हम लोग सदियों से असाध्य रोगों को दूर करने के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं। आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण लाभकारी
जड़ी-बूटियों से किया जाता है, जो शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं डालती। यानि ऐसा नहीं होता कि जिस रोग के
उपचार के लिये हम दवा ले रहे हैं, वह तो ठीक हो जाये, लेकिन इन दवाईयों का विपरीत असर हो जाये जिससे कोई दूसरा
रोग उत्पन्न हो जाये। पाचन से संबंधित समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिये एस.बी.एस. हर्बल प्रा. लि. के अनुभवी आयुर्वेदाचायों
की टीम ने रिसर्च कर ‘संधिमुक्ता किट’ तैयार की है। इस किट में बहुमूल्य जड़ी-बूटियों से बनाई गई आयुर्वेदिक दवाइयों का
समावेश है। ‘संधिमुक्ता किट’ में संधिमुक्ता वटी, संधिमुक्ता ग्रेन्यूल्स, संधिमुक्ता ओइल नित्तम फ्रेश पाउडर और एसबीएस हर्बल
टी का समावेश है। संधिमुक्ता वटी और संधिमुक्ता ग्रेन्यूल्स जोड़ों के दर्द को ठीक करने में सहायता करते हैं, नित्तम फ्रेश पाउडर
शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और वहीं, एसबीएस हर्बल टी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो अन्य बीमारियों
से शरीर की रक्षा करती है। इससे प्रतिरक्षा भी मजबूत होती है। इस कंपलीट आयुर्वेदिक पैकेज को नियमित लेने से जोड़ों के दर्द
से संबंधित सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
एस.बी.एस. हर्बल प्रा. लि. का यहीं उद्देश्य है कि संपूर्ण भारतवासी स्वस्थ रहें, बीमारियों से बचे रहें और सभी भारतवासी निरंतर
प्रगति के पथ पर अग्रसर रहें।
सेवन विधि:
संधिमुक्ता वटी - 1-1 गोली सुबह व शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ ले या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
संधिमुक्ता ग्रेन्यूल्स - आधा आधा चम्मच सुबह शाम खाने के बाद पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
नित्तम फ्रेश पाउडर - 1 चम्मच रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
एसबीएस हर्बल टी - चौथाई चम्मच दिन मे दो बार एक कप पानी में उबालकर छानकर पीयें या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
संधिमुक्ता ओइल - आवश्यकता अनुसार दिन में एक से दो बार प्रभावित जगह पर लगायें या चिकित्सक के परामर्शानुसार।