हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर। यह एक ऐसी बीमारी है जो तेजी से बढ़ रही है और लोग इसे आम समस्या समझते हैं। हाइपरटेंशन बेहद
खतरनाक बीमारी है। अगर इसका इलाज सही वक्त पर नहीं कराया गया तो मरीज की जान भी जा सकती है क्योंकि इस बीमारी की वजह से
हार्ट फेल होने का जोखिम बढ़ जाता है। हाइपरटेंशन की वजह से कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक और किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा
बीमारी हो सकती हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे धमनी उच्च
रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। इस दबाव की वजह से धमनियों में रक्त
का प्रवाह बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक
और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन हो रहा है या धडकनों के बीच में तनाव मुक्तता हो रही है।
आमतौर पर 140/90 से ऊपर के रक्तचाप को अति तनाव (हाइपरटेंशन) कहा जाता है। अगर दबाव 180/120 से ऊपर है तो ये खतरनाक माना
जाता है। उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण नहीं होता। समय के साथ अगर इसका इलाज न हो, तो इससे स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां जैसे हृदयरोग और
स्अªोक हो सकते हैं।
हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) के कारण -
1. कोलेस्ट्राल का बढना
2. मोटापा
3. आनुवांशिक कारण
4. ज्यादा मांसाहार का सेवन
5. ज्यादा तैलीय भोजन करना
6. धूम्रपान और शराब पीना
7. किडनी में समस्या
8. एड्रिनल ग्लैंड ट्यूमर
9. थायरायड
10. स्लिप एप्निया
11. रक्तवाहिकाओं में जन्मजात दोष
12. बर्थ कंट्रोल पिल्स
13. एंडोक्राइन ट्यूमर
14. भोजन में अधिक नमक का सेवन
15. आनुवांशिकता
16. एक्सरसाइज न करना
17. बढ़ती उम्र
हाइपरटेंशन के लक्षण-
1. गंभीर सिरदर्द
2. थकान
3. धुंधली
4. छाती में दर्द
5. सांस लेने में कठिनाई
6. चक्कर आना
7. उल्टी या मितली
8. सांसों की कमी
9. पेशाब में खून आना
हाइपरटेंशन के खतरे-
हाई ब्लड प्रेशर शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है पर इससे सबसे ज्यादा नुकसान हृदय को होता है। हाई प्रेशर
हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी की समस्या या डिमेंशिया को जन्म दे सकता है। हाइपरटेंशन के कारण जान का खतरा भी हो सकता
है।आयुर्वेद का वरदान है ‘रक्तोचापसम किट’
आयुर्वेद में प्रत्येक रोग का जड़ से उपचार संभव है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति हमारे ज्ञानवान, तपस्वी ऋषि-मुनि की देन है जिसका हम लोग सदियों से
असाध्य रोगों को दूर करने के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं। आयुर्वेदिक दवाइयों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता
यानि ऐसा नहीं होता कि जिस रोग के उपचार के लिये हम दवा ले रहे हैं, वह तो ठीक हो जाये, लेकिन इन दवाईयों का विपरीत असर हो जाये जिससे
कोई दूसरा रोग उत्पन्न हो जाये। तनाव रोग से मुक्ति दिलाने के लिये एस.बी.एस. हर्बल प्रा. लि. के
अनुभवी आयुर्वेदाचायों की टीम ने रिसर्च कर ‘रक्तोचापसम किट’ तैयार की है। इस किट में बहुमूल्य जड़ी-बूटियों से बनाई गई आयुर्वेदिक दवाइयों का
समावेश है। ‘रक्तोचापसम किट’ में रक्तोचापसम वटी, रक्तोचापसम ग्रेन्यूल्स, नित्तम फ्रेश पाउडर और एसबीएस हर्बल टी का समावेश है। रक्तोचापसम
वटी और रक्तोचापसम ग्रेन्यूल्स हाइपरटेंशन को कम करने में सहायता करते हैं, नित्तम फ्रेश पाउडर शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और
वहीं, एसबीएस हर्बल टी एंटीअक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो बीमारियों से शरीर की रक्षा करती है। इससे प्रतिरक्षा भी मजबूत होती है। इस
कंपलीट आयुर्वेदिक पैकेज को नियमित लेने से हाइपरटेंशन जैसे गंभीर रोग से मुक्ति मिलती है।
एस.बी.एस. हर्बल प्रा. लि. का यहीं उद्देश्य है कि संपूर्ण भारतवासी स्वस्थ रहें, बीमारियों से बचे रहें और सभी भारतवासी निरंतर प्रगति के पथ पर
अग्रसर रहें।
सेवन विधि:
रक्तोचापसम वटी - 1-1 गोली सुबह व शाम खाना खाने के बाद पानी के साथ ले या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
रक्तोचापसम ग्रेन्यूल्स - आधा आधा चम्मच सुबह शाम खाने के बाद पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
नित्तम फ्रेश पाउडर - 1 चम्मच रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
एसबीएस हर्बल टी - चौथाई चम्मच दिन मे दो बार एक कप पानी में उबालकर छानकर पीयें या चिकित्सक के परामर्शानुसार।